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विहिप संगठन मंत्री की गिरफ्तारी के बाद एडीएम हेतु पूनिया पर गिरी गाज, शासन ने की बड़ी कार्रवाई

मथुरा के प्रसून द्विवेदी बने नए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व)

पीलीभीत से बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई — SvasJsNews विशेष रिपोर्ट

विहिप संगठन मंत्री की गिरफ्तारी के बाद एडीएम हेतु पूनिया पर गिरी गाज, शासन ने की बड़ी कार्रवाई — मथुरा के प्रसून द्विवेदी बने नए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व)

पीलीभीत | SvasJsNews ब्यूरो रिपोर्ट —
जनपद पीलीभीत में विश्व हिंदू परिषद (VHP) संगठन मंत्री की गिरफ्तारी के बाद प्रशासनिक स्तर पर बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। शासन ने तत्काल प्रभाव से अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) हेतु पूनिया को उनके पद से हटा दिया है और उनके स्थान पर मथुरा के वरिष्ठ अधिकारी प्रसून द्विवेदी को नई जिम्मेदारी सौंपी गई है।

सूत्रों के मुताबिक, यह निर्णय शासन स्तर पर हुई गंभीर समीक्षा और विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय नेतृत्व द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया था कि एडीएम हेतु पूनिया के कार्यकाल में जनसुनवाई की पारदर्शिता, शिकायत निस्तारण और संवेदनशीलता पर कई सवाल उठे थे।

🔹 एडीएम के कार्यकाल पर उठे सवाल
जानकारी के अनुसार, एडीएम हेतु पूनिया की यह जनपद में दूसरी तैनाती थी, लेकिन इस बार का कार्यकाल लगातार विवादों और शिकायतों से घिरा रहा। कई सामाजिक संगठनों, अधिवक्ताओं, और राजनीतिक प्रतिनिधियों ने शासन से लिखित शिकायतें दर्ज कराई थीं कि एडीएम द्वारा जनसामान्य की शिकायतों को सुनने में असंवेदनशील रवैया अपनाया गया।
यह भी आरोप है कि कई शिकायतकर्ताओं के व्हाट्सएप नंबर ब्लॉक कर दिए गए, जिससे नागरिक अपने मामले की प्रगति तक नहीं जान पाए। अधीनस्थ अधिकारियों से संबंधित शिकायतें करने वालों के साथ भी यही व्यवहार किया गया, जो कि प्रशासनिक शिष्टाचार और राजपत्रित अधिकारियों की आचरण संहिता के अनुरूप नहीं माना जाता।

🔹 शासन का हस्तक्षेप और प्रशासनिक पुनर्संरचना
शासन ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए एक आंतरिक समीक्षा रिपोर्ट तैयार कराई। रिपोर्ट में पाया गया कि शिकायतों की संख्या और प्रशासनिक असंतोष दोनों बढ़ रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप शासन ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए पूनिया को हटाने का आदेश जारी कर दिया।
मथुरा के अधिकारी प्रसून द्विवेदी, जो अपनी कठोर लेकिन न्यायसंगत कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं, अब नए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

🔹 राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल
इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ अधिकारी इसे “शासन द्वारा पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया सशक्त कदम” बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे “राजनीतिक दबाव का परिणाम” कह रहे हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि शासन ने यह कदम जनहित और प्रशासनिक साख की बहाली के लिए आवश्यक रूप से उठाया है, ताकि जनता के बीच सरकार की जवाबदेही बनी रहे।

🔹 कानूनी दृष्टिकोण से मामला महत्वपूर्ण
प्रशासनिक सेवा नियमावली (All India Services Conduct Rules, 1968) की धारा 3(1) के अनुसार, प्रत्येक अधिकारी को सार्वजनिक हित और निष्पक्षता के साथ कार्य करना आवश्यक है। यदि किसी अधिकारी का आचरण “जनहित के प्रतिकूल” पाया जाता है, तो शासन के पास स्थानांतरण या पदमुक्ति का अधिकार सुरक्षित होता है।
इस प्रकरण में शासन ने उक्त प्रावधानों का पालन करते हुए ही कार्रवाई की है, जिससे यह निर्णय न केवल प्रशासनिक बल्कि कानूनी रूप से भी सशक्त और उचित माना जा रहा है।

🔹 जनता में नई उम्मीद
शासनिक फेरबदल के बाद नागरिकों को अब उम्मीद है कि जिले में जनसुनवाई, शिकायत निस्तारण और राजस्व संबंधी कार्यों में तेजी और पारदर्शिता आएगी।

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