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मरीजों का इलाज करने वाली एम्बुलेंस अब खुद इलाज की मोहताज!

मरीजों का इलाज करने वाली एम्बुलेंस अब खुद इलाज की मोहताज!


संवाददाता – चंद्रशेखर शर्मा, थांवला, जिला नागौर, राजस्थान |

SvasJs News

थांवला कस्बे के बाहर सड़क किनारे बीते चार वर्षों से खड़ी एक 108 एम्बुलेंस आज खुद अपने इलाज की राह देख रही है। जो कभी मरीजों के लिए जीवनदायिनी थी, वही एम्बुलेंस अब कबाड़ में तब्दील होकर सरकारी उपेक्षा की कहानी कह रही है।

यह एम्बुलेंस एक समय पर थांवला के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की शान थी। इमरजेंसी में मरीजों को तत्काल उपचार स्थल तक पहुँचाने वाली यह गाड़ी तकनीकी खराबियों के कारण धीरे-धीरे असमर्थ होती चली गई। जब इसकी उम्र और समस्याएं बढ़ीं, तो विभाग ने इसे मरम्मत कराने के बजाय सड़क किनारे खड़ा कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।

इस बीच अस्पताल को दो नई एम्बुलेंस प्राप्त हो गईं, और यह पुरानी सेवा-समर्पित गाड़ी सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़ गई।

❓ सवाल गंभीर है:

क्या लाखों रुपये की यह सरकारी संपत्ति ऐसे ही कबाड़ में तब्दील होती रहेगी?

क्या समय रहते इसे मरम्मत कर ऐसे अस्पताल को नहीं सौंपा जा सकता था जहाँ एम्बुलेंस की सुविधा आज भी नहीं है?

क्या यह गाड़ी अब सिर्फ धूल फांकती रहेगी या कोई अधिकारी इसकी सुध लेगा?

सरकार से उम्मीद है:

इस समाचार के माध्यम से SvasJs News प्रशासन से अपील करता है कि इस एम्बुलेंस का तत्काल निरीक्षण कर मरम्मत एवं पुनः उपयोग की व्यवस्था की जाए, ताकि यह पुनः किसी ज़रूरतमंद के जीवन को बचा सके।

📝 अब देखना यह होगा कि ये खबर प्रशासन की सोई संवेदनाओं को जगा पाती है या नहीं।
या फिर ये एम्बुलेंस सिस्टम की चुप्पी का शिकार होकर हमेशा के लिए कबाड़ बन जाएगी?

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